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भक्त प्रहलाद के दिव्य सद्गुण जो हमें अपने जीवन में लाने चाहिए | Sant Shri Asaram Bapu Ji Satsang


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Published on Jun 24, 2017
Dhyan Yog Shivir Satsang, Surat Ashram, 25-Mar-2005 सत्संग के कुछ मुख्य अंश: -------------------------------------------------- * प्राप्त सामर्थ्य का अगर दुरुपयोग होता है, तो वो आदमी कमज़ोर हो जाता है; और प्राप्त थोड़े से सामर्थ्य का अगर सदुपयोग होता है, तो वह बड़ी-बड़ी आपदाओं से, बड़े-बड़े विघ्नों से, कष्टों से, बाधाओं से, सहज में पार हो जाता है... * युधिष्ठिर महाराज ने नारद जी से पूछा कि प्रह्लाद दैत्य कुल के हैं, फिर भी देवता उनके गुणों का वर्णन करते हैं; नारद जी ने कहा - गुणों में सबसे बड़े हैं प्रह्लाद; बड़े संत सेवी हैं, उनके आगे नम्र भाव से पेश आते हैं; वे सत्य में प्रतिष्ठित हैं, झूठ नहीं बोलते; प्रह्लाद जितेन्द्रिय हैं; ये इन्द्रियाँ जीव को फँसाती हैं - नाक सुगंध की तरफ खींचती है, जीभ चटोरेपन की तरफ खींचती है; काम विकार की इन्द्रिय संभोग की तरफ खींचती है; कान शब्द की तरफ खींचते हैं; लेकिन प्रह्लाद ने सत्संग का आश्रय लेकर इन्द्रियों पर संयम रखा है, और समस्त प्राणियों को अपने समान मानता है; बुद्धि में समता है; सबसे समता का बर्ताव करने से प्रह्लाद को सहज विश्रांति मिलती है; प्रह्लाद प्रिय वचन बोलता है, स्वार्थ रहित बोलता है; और सबका हित चिंतन करने वाले व्यक्ति में जैसे सहज में ही सामर्थ्य और सुख उत्पन्न होता है; ऐसे ही प्रह्लाद के ह्रदय में सबके हित की भावना के कारण शान्ति और निर्भीकता है; बड़ों के समक्ष प्रह्लाद सेवक की नाईं पेश होता है, बराबरी वालों के साथ सप्रेम व्यवहार करता है; गुरुजनों का आदर करता है, और गुरुजनों में भगवद बुद्धि रखता है; विद्या, धन, कुलीनता और सौन्दर्य से संपन्न होने पर भी जो घमंड नहीं करता, उसके चित्त में जैसे भगवदीय गुण प्रकाशित होते हैं; इसी तरह प्रह्लाद के अन्दर भगवान के दिव्य गुण प्रकाशित रहते थे; बड़े-बड़े दुखों में भी प्रह्लाद घबराते नहीं हैं; प्रह्लाद समझते हैं कि दुःख आया है, और जो चीज़ आती है, वो ज़रूर जाती है; न चाहने पर भी दुःख आते हैं, ऐसे ही न चाहने पर भी सुख आते हैं; तो सुखों के लिये प्रह्लाद प्रयत्न नहीं करते, और दुखों से घबराते नहीं थे; क्योंकि सुख और दुःख ये संसार के सपने की नाईं आने-जाने वाले हैं - आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत (भगवद गीता - २.१४); भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी यही बात कही कि ये आने-जाने वाले अपायी हैं; इनका कोई गहरा foundation (पाया) नहीं है; अनित्य हैं, इसलिए इनको गुजरने दे; तो प्रह्लाद को माँ के गर्भ में ही जो नारद जी के वचन सुनने को मिले, इसलिए प्रह्लाद दुःख में घबराते नहीं, विव्हल नहीं होते, और सुख में चिपकते नहीं हैं; अपने सत्ता स्वभाव में विश्रांति पाये रहते हैं; -------------------------------------------------- Bhakt Prahlad ke divya sadgun jo humein apne jeevan mein laane chahiye... Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit - www.ashram.org (Official Website) www.rishiprasad.org www.rishidarshan.org www.hariomgroup.org www.hariomlive.org Subscribe Us Now !!! for Latest Video Updates from Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : https://www.youtube.com/user/SantAmritvani?sub_confirmation=1 To Watch FREE LIVE Webcast of Sant Shri Asharamji Bapu on Mangalmay TV Visit : http://www.ashram.org/live For More Information Visit Official website of Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : http://www.ashram.org Join Ashram on Facebook http://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu Join MPPD on Facebook http://www.facebook.com/ParentsWorshipDay
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