Dhyan Yog Shivir Satsang, Surat Ashram, 25-Mar-2005
सत्संग के कुछ मुख्य अंश:
--------------------------------------------------
* प्राप्त सामर्थ्य का अगर दुरुपयोग होता है, तो वो आदमी कमज़ोर हो जाता है; और प्राप्त थोड़े से सामर्थ्य का अगर सदुपयोग होता है, तो वह बड़ी-बड़ी आपदाओं से, बड़े-बड़े विघ्नों से, कष्टों से, बाधाओं से, सहज में पार हो जाता है...
* युधिष्ठिर महाराज ने नारद जी से पूछा कि प्रह्लाद दैत्य कुल के हैं, फिर भी देवता उनके गुणों का वर्णन करते हैं;
नारद जी ने कहा - गुणों में सबसे बड़े हैं प्रह्लाद;
बड़े संत सेवी हैं, उनके आगे नम्र भाव से पेश आते हैं; वे सत्य में प्रतिष्ठित हैं, झूठ नहीं बोलते;
प्रह्लाद जितेन्द्रिय हैं;
ये इन्द्रियाँ जीव को फँसाती हैं - नाक सुगंध की तरफ खींचती है, जीभ चटोरेपन की तरफ खींचती है; काम विकार की इन्द्रिय संभोग की तरफ खींचती है; कान शब्द की तरफ खींचते हैं;
लेकिन प्रह्लाद ने सत्संग का आश्रय लेकर इन्द्रियों पर संयम रखा है, और समस्त प्राणियों को अपने समान मानता है;
बुद्धि में समता है; सबसे समता का बर्ताव करने से प्रह्लाद को सहज विश्रांति मिलती है;
प्रह्लाद प्रिय वचन बोलता है, स्वार्थ रहित बोलता है;
और सबका हित चिंतन करने वाले व्यक्ति में जैसे सहज में ही सामर्थ्य और सुख उत्पन्न होता है; ऐसे ही प्रह्लाद के ह्रदय में सबके हित की भावना के कारण शान्ति और निर्भीकता है;
बड़ों के समक्ष प्रह्लाद सेवक की नाईं पेश होता है, बराबरी वालों के साथ सप्रेम व्यवहार करता है;
गुरुजनों का आदर करता है, और गुरुजनों में भगवद बुद्धि रखता है;
विद्या, धन, कुलीनता और सौन्दर्य से संपन्न होने पर भी जो घमंड नहीं करता, उसके चित्त में जैसे भगवदीय गुण प्रकाशित होते हैं; इसी तरह प्रह्लाद के अन्दर भगवान के दिव्य गुण प्रकाशित रहते थे;
बड़े-बड़े दुखों में भी प्रह्लाद घबराते नहीं हैं; प्रह्लाद समझते हैं कि दुःख आया है, और जो चीज़ आती है, वो ज़रूर जाती है;
न चाहने पर भी दुःख आते हैं, ऐसे ही न चाहने पर भी सुख आते हैं;
तो सुखों के लिये प्रह्लाद प्रयत्न नहीं करते, और दुखों से घबराते नहीं थे; क्योंकि सुख और दुःख ये संसार के सपने की नाईं आने-जाने वाले हैं -
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत (भगवद गीता - २.१४);
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी यही बात कही कि ये आने-जाने वाले अपायी हैं; इनका कोई गहरा foundation (पाया) नहीं है; अनित्य हैं, इसलिए इनको गुजरने दे;
तो प्रह्लाद को माँ के गर्भ में ही जो नारद जी के वचन सुनने को मिले, इसलिए प्रह्लाद दुःख में घबराते नहीं, विव्हल नहीं होते, और सुख में चिपकते नहीं हैं; अपने सत्ता स्वभाव में विश्रांति पाये रहते हैं;
--------------------------------------------------
Bhakt Prahlad ke divya sadgun jo humein apne jeevan mein laane chahiye...
Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit -
www.ashram.org (Official Website)
www.rishiprasad.org
www.rishidarshan.org
www.hariomgroup.org
www.hariomlive.org
Subscribe Us Now !!! for Latest Video Updates from Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram :
https://www.youtube.com/user/SantAmritvani?sub_confirmation=1
To Watch FREE LIVE Webcast of Sant Shri Asharamji Bapu on Mangalmay TV Visit :
http://www.ashram.org/live
For More Information Visit Official website of Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram :
http://www.ashram.org
Join Ashram on Facebook
http://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu
Join MPPD on Facebook
http://www.facebook.com/ParentsWorshipDay