Mangalmay
Mangalmay

Ishvar Praapti pehle karo, baad mein jagat (ईश्वर प्राप्ति पहले करो) | Sant Asaram Bapu Satsang


 Set Favorite    Watch Later     Embed URL     Watch LIVE


Mangalmay
Views : 160



Published on Oct 08, 2016
Sant Asaram Bapu: Ekaant Taatvik Satsang (Rajokari Ashram, Delhi, 1st May 2008). Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit - www.ashram.org (Official Website) -------------------------------------------------- ईश्वर प्राप्ति पहले करो, बाद में जगत (सत्संग के मुख्य अंश) श्रेष्ठ पुरुष वही है जो संसार को वीरस/बदलने वाला, नाशवान जानकर अविनाशी आत्मा को जानता है... वे बड़े अभागे हैं जिनको ईश्वर प्राप्ति में रूचि नहीं... जो मोक्ष/आत्म पद पाने को यत्न नहीं करते, वे बड़े अभागे हैं... तुलसीदास जी कहते हैं - सिर धुनि धुनि पछतावहिं... आत्मरस पाने को जिन्होंने यत्न किया, वे ही श्रेष्ठ पुरुष हैं... जैसे पतंगिया दिये पर जा मरता है, ऐसे ही मूर्ख लोग अपने को संसार में खपा देते हैं.... कोई कोई विरले हैं जो समय बचाकर सेवा और बाकी का (समय) परमात्म ध्यान में लगाते हैं, परमात्म विश्रांति में लगाते हैं... वे श्रेष्ठ पुरुष हैं... और वे अभागे हैं जो मिटने वाली चीज़ों के पीछे जिंदगी खपा देते हैं... भगवत धर्म क्या है? - भगवान का नाम उच्चारण करे...वैखरी से, मध्यमा से, पश्यन्ति से, फिर, परा से,... - साधु जनों का संग करे.. - आय का दसवाँ हिस्सा दान-पुण्य करे.... - महीने में 5-7 दिन एकांतवास रहे... ये भगवत-प्रसादजा धर्म है.... समय का पाँचवाँ हिस्सा एकांत में, भक्ति में, ईश्वरप्राप्ति में लगाये... 20 टका समय तो लगाये कम से कम (ईश्वरप्राप्ति में).... कमाई का दस टका, समय का बीस टका...भगवत-प्रसादजा में लगाये.... अगर नहीं लगाता है तो वो अभागा है, अपने आप का दुश्मन है... जैसे कीट पतंग को दिया लुभावना दिखता है, ऐसे ही मूर्खों को जगत सुखमय लगता है... ऐसा जगत का कोई सुख नहीं जो मलीन अंगों के साथ एकता किये बिना मिल सके... मूत्र इन्द्रिय गन्दी है...उसके साथ एकता किये बिना sex का सुख मिल सकता है क्या ? वो सुख तो जरा सा, बाद में थकान, दुःख....और फै... इससे तो भावना का सुख बहुत ऊँचा है... भगवान को, गुरु को देखते-देखते शुद्ध सुख मिलता है... उससे भी समाधि का, ध्यान का, सुख ऊँचा है.... बुद्धि में शक्ति देता है....मनोबल, संकल्प बल देता है... जबहिं नाम हृदय धरयो, भयो पाप को नाश... यह भगवत प्रसादजा मति है... ज्ञानात ध्यानं विशिष्यते...ध्यानात कर्म फलः त्यागः ... भगवत / दैवी कार्य में फल की, वाहवाही की इच्छा छोड़कर...ईश्वरी कार्य करने में लगें... ज्ञान से ध्यान श्रेष्ठ है, और ध्यान से भी निष्काम कर्म...भगवान के रास्ते लगाने वाले कर्म.... यह बहुत ऊँचा माना गया है...गीता में आता है.... ज्ञानात ध्यानं विशिष्यते...ध्यानात कर्म फलः त्यागः... त्यागात शान्ति निरंतरम.... वो तो ध्यान करेगा तभी शान्ति मिलेगी...लेकिन सेवा जो करेगा गुरु के दैवी कार्य की...(उसको) सेवा करते समय भी शान्ति... अरे! हनुमान जी ने झगड़े की सेवा ली, तभी भी आनंद ही आनंद...हनुमान जी जानते थे सेवा का महत्त्व... आजकल तो....एकदम खाली हो जायेंगे, बैटरी discharge हो जायेगी तो आ जायेंगे गुरु के द्वार... ऐसी बुद्धि मारी गयी... भगवान निकम्मे नहीं हैं जो निकम्मे लोगों को मिलें... हम अगर retire होकर गुरु के पास जाते तो क्या मिलता, सोच लो.. भगवान के लिये जो राजपाट छोड़कर चल देते हैं, तो भगवान भी अपना भगवत भाव छोड़कर उनके आगे प्रकट हो जाते हैं... जीवन धन्य करना है तो बस भगवान को अपना मानो, भगवत प्रसादजा बुद्धि बनाओ... ईश्वर जनों के साथ जुड़ो...ईश्वर को पाने का उद्देश्य बनाओ... आपका तो मंगल होगा, आपके संपर्क में आने वालों का भी मंगल होगा.... गुरु के सन्मुख जाय के, सहे कसौटी दुःख | कह कबीर वा दुःख पर, कोटि वारूँ सुख || ब्रहमज्ञानी सदा निर्लेपा, जैसे जल में कमल अलेपा | डेरा डालो गुरूजी के पास, जहाँ गुरूजी का वास (ब्रह्म स्वभाव में)... वहाँ अपना वास (हो)...मौज हो जाये... चलो वहाँ जाइये, जहाँ परब्रह्म का खेल.. दिया जले अगम का, बिन बाती बिन तेल | share market में जो लगा ना, समझो उसकी नींद भी हराम, पैसे भी हराम... बुड्ढे हो जायेंगे, लाचार मोहताज हो जायेंगे, तब गले पड़ेंगे तुम्हारे आकर...धन्य हो... ईश्वर प्राप्ति पहले करो, बाद में जगत... दुनिया की चीज़ें भी परछाई की तरह तुम्हारे पीछे आएँगी, और ईश्वर भी मिल जायेंगे... दो ही तो चीज़ें हैं - एक इहलोक, दूसरा परलोक... जो इहलोक का यत्न करता है, उसका परलोक भी बिगड़ता है, और इसलोक का भी टिकता नहीं...वशिष्ठ जी बोलते हैं... और जो आत्मदेव के लिये यत्न करता है, उसको परमात्मा भी मिलता है, और यह लोक भी उसके लिये हाजरां हुजूर... दोनों हाथ में लड्डू... एक साधे, सब सधे, सब साधे, सब जाये... -------------------------------------------------- Subscribe Us Now !!! for Latest Video Updates from Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : https://www.youtube.com/user/SantAmritvani?sub_confirmation=1 To Watch FREE LIVE Webcast of Sant Shri Asharamji Bapu on Mangalmay TV Visit : http://www.ashram.org/live For More Information Visit Official website of Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : http://www.ashram.org Join Ashram on Facebook http://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu Join MPPD on Facebook http://www.facebook.com/ParentsWorshipDay
(read more)



More