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13th Oct 2008, Divine Sharad Poonam Satsang, Faridabad | Sant Asaram Bapu ji


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Published on Oct 15, 2016
Sant Asaram Bapu: दिव्य शरद पूनम सत्संग (Faridabad, 13th Oct 2008). -------------------------------------------------- सत्संग के कुछ मुख्य अंश: उतार और चढ़ाव तुम्हारे जीवन में विलक्षण लक्षण प्रकट हों, उसी परमात्मा की लीला है.... कभी ऐसा न सोचो कि मेरा कोई पाप कर्म है, मैं अभागा हूँ, ऐसा हो गया... बड़े से बड़े सुखी व्यक्ति के जीवन में भी विपरीत परिस्थितियाँ लाने की कृपा भी उसी की है... और दुखी से दुखी व्यक्ति के जीवन में सुखद घटना लाने की दया उसी की है.... अनुकूलता भगवान की दया है, प्रतिकूलता भगवान की कृपा है - दोनों के द्वारा हमारा विकास ही छिपा है, ऐसा समझकर दोनों का फायदा लें... प्रतिकूलता आई है तो सजाग होने के लिये आई है, अनुकूलता आई है तो उदार होने के लिये आई है... अनुकूलता आ के चली जाती है, प्रतिकूलता आ के चली जाती है, लेकिन रहने वाला वह सनातन परमेश्वर सदा हमारे साथ है... सो साहिब सद सदा हजूरे, अंधा जानत ताको दूरे.... उस सत स्वरूप ईश्वर को अपना मानो... रात को सोने से पहले ईश्वर से बोलो: प्रभु! मैं तुम्हारा हूँ...जैसा हूँ, तैसा हूँ, लेकिन तुम्हारा हूँ... अच्छा काम हुआ तो आपकी सत्ता से, कृपा से हुआ,.. गलती हुई तो मेरा स्वार्थ और नादानी है... लेकिन स्वार्थ और नादानी आप ही मिटाते रहियो मेरे देव! हे गोविन्द, हे गोपाल, हे केशव! प्रीतिपूर्वक भगवान को भजो... सत्कर्म से सत्कर्म बढ़ते हैं, पाप से पाप बढ़ता है.... सुबह उठते समय थोड़ी देर शांत होकर बैठ जाओ...भले एक दो मिनट... सुबह सुबह बुद्धि और मन शांत होता है...ज्ञान स्वरूप परमात्मा की नज़दीक होता है, अच्छी प्रेरणा मिलती है... संध्या के बाद कोई बड़ा निर्णय नहीं करना चाहिये, शादी, विवाह, आदि बड़े काम का निर्णय नहीं लेना चाहिए... मैं (पूज्य गुरुदेव) सत्संग की तारीक कभी भी रात्रि को नहीं देता...जब भी निर्णय करूँगा, सुबह को करूँगा, दोपहर को करूँगा... तो भगवत प्रेरित कर्म करो...भगवान की प्रीति के लिये कर्म करो... और भगवान का वचन है: तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत | तत्प्रसादात परां शांतिम स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतं || शरीर से जो करे, मन से जो सोच विचार (संकल्प आदि) करे वो, उसमें भी भगवान प्रसन्न होंगे कि नहीं, यह उद्देश्य रख कर मन से काम लें.. और बुद्धि से भी ऐसे ही निर्णय लें, तो देर सवेर तुम काम करते करते भी मेरे प्रसाद से पावन हो जाओगे... भगवत प्रसादजा मति बन जायेगी... और प्रसादे सर्व दुखानाम हानिरस्योप्जायेते... अष्टधा प्रकृति है (पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश और मन, बुद्धि, अहंकार)... इसीलिए, आम आदमी को समझाने के लिये (दुर्गा) माता जी का रूप बनाया और माँ की अष्ट भुजायें बना दी... वास्तव में अष्टधा प्रकृति है - 5 भूत, और मन, बुद्धि और अहंकार... जैसे भगवान की अष्टधा प्रकृति सृष्टि है, ऐसे ही हमारी (जीव) की अष्टधा प्रकृति शरीर है... मुझसे अलग है अष्टधा प्रकृति... भगवान बोलते हैं - मैं इनमें हूँ, पर ये मुझ में नहीं हैं... जैसे फिल्म की प्लास्टिक की पट्टियों में दृश्य दिखते हैं, लेकिन दृश्य मर भी जायें तो भी लाइट और पट्टियाँ ज्यों की त्यों... जैसे आकाश और सूर्य सब चीज़ों के साथ जुड़े हैं, और सब से अलग भी हैं... कभी कभी सोचो कि इतना भोग लिया फिर क्या, इतना पा लिया फिर क्या, आखिर क्या? शरीर तो सदा रहेगा नहीं, और यह धन भी यहाँ रह जायेगा.... साईं ते इतना मांगिये, नौ कोटि सुख समाये | मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु ना भूखा जाये || जैसे गाड़ी में बैठने से आप गाड़ी नहीं हो गए, ऐसे ही शरीर में आने से आप शरीर नहीं हो गए.... शरीर अष्टधा प्रकृति का है, और आप चैतन्य परमात्मा के हो... तो आप परमात्मा की स्मृति करो... परमात्मा का ज्ञान, परमात्मा की प्रीति, और परमात्मा में विश्रांति... ज्यों ज्यों ये बढेंगे, त्यों त्यों जगत आपके लिये नंदनवन हो जायेगा... काहे को डरते हो, भयभीत होते हो, चिंतित होते हो ? हो हो के क्या होगा ? ये भय दिखाने वाली परिस्थितियाँ दिखती हैं भयानक, लेकिन भीतर से अमृत से भरी होती हैं... ऐसा नहीं है कि भगवान किसी जगह पर ही बैठे हैं... हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रगट होहिं मैं जाना | जो सत्संग में पहुँचते हैं उनके पुण्य, उनकी कमाई, उनके भाग्य को तोलने वाली मानवी तराजू तो क्या, ब्रह्मा जी की तराजू भी बनी नहीं है.... अगर बनेगी तो टूट जायेगी...इतना पुण्य होता है कि ब्रह्मा जी भी उसको तोल नहीं सकते... तुलसीदास जी ने थोड़ा संकेत कर दिया: एक घड़ी, आधि घड़ी, आधि में पुनि आध.. तुलसी संगत साध की, हरे कोटि अपराध | -------------------------------------------------- Subscribe Us Now !!! for Latest Video Updates from Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : https://www.youtube.com/user/SantAmritvani?sub_confirmation=1 To Watch FREE LIVE Webcast of Sant Shri Asharamji Bapu on Mangalmay TV Visit : http://www.ashram.org/live For More Information Visit Official website of Sant Shri Asaram ji Bapu Ashram : http://www.ashram.org Join Ashram on Facebook http://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu Join MPPD on Facebook http://www.facebook.com/ParentsWorshipDay
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